Monday, 15 June 2015

शादी पर रिपोर्टिंग के साइड इफेक्ट्स

2003 की बात है। खबर लहरिया की शुरूवात ही हुई थी। अखबार का पहला साल पूरा होने वाला था कि अचानक एक खबर को लेकर बवाल मच गया। रेहुटियां गांव में दहेज मांगने को लेकर लड़के वालों को लड़की पक्ष ने तीन दिन तक गांव के प्राइमरी स्कूल में बंद कर रखा था। इस खबर को खबर लहरिया की पत्रकार सोनिया मानिकपुर से लाई थी।   

खबर को पढ़ कर लड़के वालों को बहुत बुरा लगा। उनका मानना था कि उनकी इज़्ज़त का सवाल था। उन लोगों ने खबर लहरिया में लिखित डाक द्वारा कानूनी नोटिस भेजा कि वह खबर लहरिया पर मुकदमा ठोक देंगे। साथ ही खबर लाने वाले पत्रकार को भी 'देख लेंगे'। उस नोटिस को देख थोड़ी देर के लिए मैं भी घबरा गई। सोनिया भी घबराई हुई थी क्योंकि वो मानिकपुर में ही रहती थी। अगर कोर्ट केस हो जाता तो हमारे पास अपनी सच्चाई साबित करने के लिए कुछ नहीं था। दिल्ली टीम से सुझाव लेकर मैं और सोनिया रेहुटियां गांव लड़की वालों के घर गए।

2012 में रिपोर्टिंग करती मीरा  (फोटो: दिशा मलिक)
गांव में घुसते ही लोग हमें ऐसे देख रहे थे जैसे हमने किसी की हत्या की हो। हम सुबह से दोपहर तक गांव में अलग-अलग लोगों से मिले पर कोई अपना नाम देने को तैयार नहीं था। अंत में हम लोगों को समझा पाए। लड़की वाले भी बाद में मान गए। दरअसल, लड़के वालों ने पहले तो दहेज के लिए मना किया था पर ऐन मौके पर लड़का टी.वी. मांगने लगा। लड़की इस बात को सुन कर गुस्सा हो गई और उसने शादी के लिए मना कर दिया था। इस बात को लेकर मारपीट भी हुई थी। तभी गांव वालों ने लड़के वालों को पकड़ कर तीन दिन तक स्कूल में बंद रखा था। 

इस खबर को कवर करते समय मैंने एक ऐसी बात सीखी जो आज तक मेरे साथ है - हमें बिना ठोस प्रूफ के कोई खबर को नहीं छापनी चाहिए। शायद उस दिन मेरी जगह रेहुटियां कोई और जाता तो लोगों का गुस्सा और भड़क जाता? मुझे पहली बार एक पत्रकार होने का एहसास हुआ और पत्रकार होने के नाते अपनी ज़िम्मेदारियाँ एक नई रौशनी में समझ आईं।

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मीरा जाटव खबर लहरिया अखबार से 2002 से जुड़ी हुई हैं। मीरा ने रिपोर्टिंग से शुरुआत की और आज विमेन मीडिया एंड न्यूज़ ट्रस्ट की चीफ ऑपरेशन्ज़ ऑफिसर हैं। चित्रकूट की रहने वाली मीरा खबर लहरिया के मैनेजमेंट का ज़रूरी हिस्सा हैं। 

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